ये संयोग की ही बात है कि लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर दिखाए जाने दो पुराने धारावाहिकों में इस वक़्त वो भी दिखाई पड़ रहे हैं। चाणक्य और श्रीकांत इन दोनों ही धारावाहिकों में आप इरफ़ान को उनके कॅरियर के शुरूआती दिनों में देख सकते हैं। दरअसल इरफ़ान ने सिनेमा के परदे पर दिखने से बहुत पहले टीवी के छोटे परदे पर अपनी पहचान बनायीं थी।
1985-86 में आए धारावाहिक श्रीकांत में इरफ़ान एक अच्छी भूमिका में नज़र आए। मगर उनमे अभिनय की कैसी जबरदस्त क्षमता है इसका नज़ारा उन्होंने पेश किया एक टेलीप्ले में। दरअसल 1988 में दूरदर्शन ने टेलीप्ले की एक सिरीज़ दिखाई थी। इन्ही में से एक प्ले था – लाल घास पर नीले घोड़े। इसमें इरफ़ान का अभिनय बहुत ऊँचे दर्ज़े पर था। 1991-92 में आए चर्चित धारावाहिक चाणक्य में वो मगध के सेनापति भद्रशील की भूमिका में नज़र आए। फिर 1994 में नीरजा गुलेरी के धारावाहिक चंद्रकांता में उनको लोगों ने पहचाना। जब प्राइवेट चैनलों का दौर शुरू हुआ तो वो ज़ी के बनेगी अपनी बात और स्टार प्लस के स्टार बेस्ट सेलर जैसे हिट सीरियल में बड़ी भूमिकाओं में भी नज़र आए।
हालांकि टीवी के छोटे परदे से सिनेमा के बड़े परदे की उनकी यात्रा आसान नहीं रही। । ये वो दौर था जब माना जाता था कि टीवी पर आने के बाद आप फिल्मों में नायक नहीं बन सकते। लेकिन पहले शाहरुख़ खान और बाद में इरफ़ान ने इस मिथक को तोड़ा। मगर शाहरुख़ खान की तरह इरफ़ान को सफलता जल्दी नहीं मिल गयी। संघर्ष के लंबे दौर के बाद वो बड़े परदे पर नायक बने। इरफ़ान ने दरअसल हिंदी सिनेमा के स्थापित नायक की छवि को भी तोड़ा। उनका अभिनय हमें हमेशा याद रहेगा।